Friday, October 1, 2010

तुम भी साथ -साथ आते .....

जो  लहरों  से  आगे  नज़र  देख  पाती  तो  तुम  जान  लेते  मैं  क्या  सोचती   हूँ ,
वो  आवाज़  तुमको  भी   जो भेद  जाती  तो  तुम  जान  लेते  मैं  क्या सोचती  हूँ .


जिद  का  तुम्हारे  जो  पर्दा  सरकता  तो  खिडकियों  से  आगे  भी  तुम  देख  पाते ,
आँखों  से  आदतों  की  जो  पलकें  हटाते  तोह  तुम  जान  लेते  मैं  क्या  सोचती  हूँ .

मेरी  तरह  खुद  पर  होता  ज़रा  भरोसा  तोह  कुछ  दूर  तुम  भी  साथ -साथ  आते ,
रंग  मेरी  आँखों  का  बाँट -ते  ज़रा  सा  तो   कुछ  दूर  तुम  भी  साथ -साथ  आते ,

नशा  आसमान  का  जो  चूमता  तुम्हे  भी , हसरतें  तुम्हारी   नया  जन्म  पातीं ,
खुद  दुसरे  जनम  में  मेरी  उड़ान  छूने  कुछ  दूर  तुम  भी  साथ -साथ  आते .

No comments:

Post a Comment