कागज़ की हवेली है बारिश का ज़माना है .
क्या शर्त-ए-मोहब्बत है क्या शर्त -ए - ज़माना है
आवाज़ भी ज़ख़्मी है और गीत भी गाना है .
आवाज़ भी ज़ख़्मी है और गीत भी गाना है .
उस पर उतरने की उम्मीद बहुत कम है
कश्ती भी पुरानी है और तूफान को भी आना है .
कश्ती भी पुरानी है और तूफान को भी आना है .
समझे या न समझे वो अंदाज़ मोहब्बत के
एक शख्स को आँखों से दिल का सारा दर्द सुनाना है .
एक शख्स को आँखों से दिल का सारा दर्द सुनाना है .
भोली सी अदा कोई फिर इश्क की जिद पर है
फिर आग का दरिया है और डूब के जाना है .
फिर आग का दरिया है और डूब के जाना है .
Amazing Galib!!!!!!
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